लेखक: Sushant Patil Storyteller
राजलक्ष्मी कर… एक साधारण सी महिला थीं, ओडिशा के गजपति ज़िले की रहने वाली। तक़दीर ने उन्हें कभी माँ नहीं बनने दिया, लेकिन एक दिन भुवनेश्वर की सड़कों पर उन्हें एक नवजात बच्ची लावारिस मिली — रोती हुई, कँपकँपाती, लावारिस। राजलक्ष्मी ने उस बच्ची को उठा लिया… उसे घर ले आईं… और अपना नाम देने का फ़ैसला किया।
बच्ची का नाम रखा गया — सरस्वती।
राजलक्ष्मी ने पति के साथ मिलकर उसे पालना शुरू किया। लेकिन कुछ ही सालों में पति का निधन हो गया। अब राजलक्ष्मी ने अकेले ही जिम्मेदारी उठाई। परलाखेमुंडी जैसे छोटे कस्बे में किराए के घर में रहकर बेटी को पढ़ाया, उसे हर वो सुख देने की कोशिश की जो एक मां दे सकती है।
लेकिन शायद किस्मत को ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था।
13 साल की होते-होते सरस्वती की ज़िंदगी में दो लोग आ गए — गणेश राठ (21 साल, मंदिर का पुजारी) और दिनेश साहू (20 साल, लोकल लड़का)। दोनों से उसके ‘संबंध’ थे। राजलक्ष्मी को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने बेटी को डांटा, समझाया… लेकिन सरस्वती के दिल में अब बगावत पल रही थी।
मां अब उसे दुश्मन लगने लगी।
29 अप्रैल की रात, तीनों ने मिलकर खौफनाक प्लान बनाया। सरस्वती ने अपनी मां के कमरे में गणेश और दिनेश को बुलाया। और फिर… मां का गला घोंट दिया गया। वो मां… जिसने 13 साल पहले उसे मरने से बचाया था… उसी के हाथों अब उसकी ज़िंदगी छीनी जा रही थी।
इतना ही नहीं… तीनों ने पुलिस को ये कहकर गुमराह किया कि राजलक्ष्मी की मौत हार्ट अटैक से हुई है। शव को जल्दी से पुरी ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
लेकिन सच्चाई ज्यादा दिनों तक छुपी नहीं रहती।
पड़ोसियों को शक हुआ। पुलिस ने जब पूछताछ शुरू की, तो सरस्वती के बयानों में झोल दिखने लगे। जब जांच गहराई, तो धीरे-धीरे पूरा सच सामने आ गया। गणेश और दिनेश को पकड़ा गया… और सरस्वती को भी।
जिसे एक मां ने बिना खून का रिश्ता होते हुए अपनाया, उसके अपने हाथों से उसके जीवन का अंत हो गया।
ये कहानी सिर्फ हत्या की नहीं है — ये ममता के कत्ल की कहानी है।
Sushant Patil Storyteller
Disclaimer : इस ब्लॉग में इस्तेमाल की गयी सारी फोटो हमारी खुद की बनायी हुई और खुद के फेसबुक पेज "Sushant Patil Storyteller" व्हिडिओस से लिये है जिनके लिंक ऊपर दिये हैं...!
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