Writer : Sushant Patil Storyteller
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Disclaimer : इस ब्लॉग में इस्तेमाल की गयी सारी फोटो हमारी खुद की बनायी हुई और खुद के फेसबुक पेज "Sushant Patil Storyteller" व्हिडिओस से लिये है जिनके लिंक ऊपर दिये हैं...!
परिचय:
भारत में झूठे मामलों का असर केवल कोर्ट में नहीं बल्कि इंसान की पूरी ज़िंदगी पर होता है।
गोपाल शेटे की कहानी इसका सबसे खौफनाक उदाहरण है। एक आम आदमी, जिसे बिना किसी सबूत के 7 साल तक जेल में सड़ाया गया।
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1. कौन था गोपाल शेटे?
गोपाल शेटे, मुंबई का एक आम नागरिक था।
पिता का सहारा, दो बेटियों का पिता — एक सामान्य ज़िंदगी जी रहा था। लेकिन 2009 में एक घटना ने सब कुछ बदल दिया।
2. झूठे रेप केस की शुरुआत
29 जुलाई 2009 को एक महिला ने पुलिस को बताया कि उसके साथ रेप हुआ।
उसने आरोपी का नाम सिर्फ़ “गोपी” बताया।
पुलिस ने बिना पुख्ता जांच किए, सीधे गोपाल शेटे को गिरफ्तार कर लिया। न डीएनए रिपोर्ट, न गवाह, न CCTV – फिर भी उस पर रेप का केस दर्ज हो गया।
3. सजा और ज़िंदगी की बर्बादी
2010 में कोर्ट ने गोपाल को 7 साल की सजा सुनाई।
इस दौरान:
पत्नी ने साथ छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली
बेटियों को अनाथालय में भेज दिया गया
बूढ़े पिता सदमे से चल बसे
गोपाल जेल में हर रोज़ मरता रहा।
4. बेगुनाही साबित, लेकिन सब खत्म
2015 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा – गोपाल निर्दोष है।
लेकिन तब तक वो 7 साल जेल में काट चुका था।
कोई माफ़ी नहीं, कोई मुआवज़ा नहीं। सबकुछ बर्बाद हो चुका था।
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5. ₹200 करोड़ का मुआवज़ा और सरकार की खामोशी
गोपाल ने महाराष्ट्र सरकार से ₹200 करोड़ का मुआवज़ा मांगा — मानसिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान के लिए।
लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।
सरकार ने भी कोई जवाब नहीं दिया।
6. आखिरी शब्द: “मुझे मरने की इजाज़त दो”
न्याय नहीं मिला, ज़िंदगी वापस नहीं मिली…
गोपाल ने कहा – “अब मुझे जीने का नहीं, मरने का हक़ चाहिए।”
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निष्कर्ष:
गोपाल शेटे का केस हमें यह याद दिलाता है कि झूठे आरोप सिर्फ कानून का मज़ाक नहीं उड़ाते — वे किसी की पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर सकते हैं।
क्या अब वक्त नहीं आ गया कि ऐसे मामलों के खिलाफ आवाज़ उठाई जाए?
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