By: Sushant Patil Storyteller
झांसी की गर्म रातें अब सिर्फ मौसम की मार नहीं, सिस्टम की सजा बन चुकी हैं।
बीते शनिवार, झांसी की एक महिला अपने दो छोटे बच्चों को लेकर ठंडी हवा की तलाश में ATM में जा बसी। वजह? शहर में कई दिनों से चल रही भीषण बिजली कटौती। दिन तो जैसे-तैसे गुजर जाता है, लेकिन जब रात के सन्नाटे में गर्मी दहाड़ मारती है, तब मासूम बच्चों की नींद नहीं टूटती, बल्कि उनके रोने की आवाजें मोहल्लों में गूंजती हैं।
इस रात महिला अकेली नहीं थी। BKD चौराहे पर लोगों का हुजूम जमा हो गया था। नाराज लोग सड़क पर उतर आए। महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर मुन्नालाल पावर हाउस के सामने धरने पर बैठीं। एक मां के लिए सबसे बड़ी मजबूरी होती है – अपने बच्चे को गर्मी से तड़पते देखना। और जब सरकार चुप हो, सिस्टम सो रहा हो, तो ATM भी मां की गोद बन जाता है।
प्रशासन क्या कर रहा है?
बिजली विभाग कहता है – "लोड ज़्यादा है।"
जनता पूछती है – "फिर टैक्स किस बात का?"
पुलिस पहुंची, अफसर आए, और फिर वही पुराना वादा — “जल्द समाधान होगा।”
लेकिन सवाल है, ‘जल्द’ कब आएगा?
क्या झांसी में एसी की हवा सिर्फ अफसरों के लिए है?
क्या आम मां को अपने बच्चों को चैन की नींद सुलाने के लिए ATM का सहारा लेना पड़ेगा?
यह सिर्फ बिजली का मामला नहीं है। यह सिस्टम की संवेदनहीनता का आइना है।
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“मैं हूं Sushant Patil, और मैं लाता हूं आपके सामने वो कहानियां जिन्हें कोई नहीं सुनाना चाहता। ये कहानी झांसी की है, लेकिन कल को ये किसी और शहर की भी हो सकती है। अगर ये आपको चुभी हो, तो शेयर जरूर करें – ताकि आवाज़ दूर तक जाए।”
Disclaimer : इस ब्लॉग में इस्तेमाल की गयी सारी फोटो हमारी खुद की बनायी हुई और खुद के फेसबुक पेज "Sushant Patil Storyteller" व्हिडिओस से लिये है जिनके लिंक ऊपर दिये हैं...!
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