Wednesday, May 28, 2025

"जब एक पति टूट गया: खौफनाक साजिश और आत्म*त्या की सच्ची कहानी"

"जब एक पति टूट गया: खौफनाक साजिश और आत्म*त्या की सच्ची कहानी"
Writer : Sushant Patil Storyteller

Disclaimer : इस ब्लॉग में इस्तेमाल की गयी सारी फोटो हमारी खुद की बनायी हुई और खुद के फेसबुक पेज "Sushant Patil Storyteller" व्हिडिओस से लिये है जिनके लिंक ऊपर दिये हैं...!




📍 स्थान:

अतर्रा, जिला बांदा, उत्तर प्रदेश
तारीख: मई 2024


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✍️ ब्लॉग लेख:

एक शांत स्वभाव का पति, एक साधारण ज़िंदगी, और फिर एक दिन ऐसा आया जब सब खत्म हो गया।

23 वर्षीय जितेंद्र कुमार प्रजापति अपने छोटे से परिवार के साथ खुशी से रह रहा था — पत्नी गौरा (20 वर्ष) और 3 महीने का मासूम बेटा। मगर अचानक एक ऐसी घटना घटी जिसने सबको हिला कर रख दिया।

एक दिन, जितेंद्र ने पहले अपनी पत्नी और फिर अपने बच्चे की हत्या की। इसके बाद उसने खुद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

लेकिन क्यों...?

इस "क्यों" का जवाब हमें जितेंद्र के उस सुसाइड नोट में मिला जो उसने मरने से पहले अपने परिवार के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा था। उस नोट में जितेंद्र ने लिखा:

> "मेरी पत्नी और उसके परिवार वाले मुझे और मेरे परिवार को उसकी छोटी बहन के गायब होने के मामले में झूठे बलात्कार या छेड़छाड़ के केस में फँसाने की धमकी दे रहे थे। मैं यह सब नहीं सह सका।"




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💔 जब झूठे आरोप जानलेवा बन जाएं

जितेंद्र ने आगे लिखा कि वो अपने पूरे परिवार को बर्बाद होते नहीं देख सकता, इसलिए वह यह कदम उठा रहा है।

कितनी दर्दनाक बात है...
एक इंसान, जिसे जीना था, लड़ना था, आगे बढ़ना था — उसे मरने का रास्ता चुनना पड़ा, सिर्फ इसलिए क्योंकि सिस्टम में उसे कोई भरोसा नहीं था कि उसे न्याय मिलेगा।


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⚖️ खटासभरे रिश्ते, झूठे मुकदमे और एकतरफा कानून

आज समाज में पुरुषों के खिलाफ झूठे मुकदमों का चलन बढ़ता जा रहा है। शादी के बाद छोटे-मोटे झगड़ों को बड़ी साजिशों में बदल देना एक नया "हथियार" बन चुका है।

लेकिन कोई नहीं पूछता कि अगर पुरुष निर्दोष हो, तो उसका क्या?

जितेंद्र जैसे हज़ारों पुरुष देशभर में फँसे हैं — कुछ ज़िंदा हैं, कुछ चुप हैं... और कुछ अब हमारे बीच नहीं हैं।


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📢 अंतिम शब्द:

> "मैं निर्दोष हूं, लेकिन अपने परिवार को बचाने के लिए ये फैसला ले रहा हूं..."
– जितेंद्र कुमार (सुसाइड नोट से)



इन शब्दों को पढ़कर कोई भी इंसान कांप जाए।
क्या अब भी हम यही सोचते रहेंगे कि पुरुष हमेशा दोषी होता है?


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