ममता का कत्ल: एक माँ, एक प्रेमी और एक मासूम की
अधूरी कहानी Author: Sushant Patil Storyteller
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Disclaimer : इस ब्लॉग में इस्तेमाल की गयी सारी फोटो हमारी खुद की बनायी हुई और खुद के फेसबुक पेज "Sushant Patil Storyteller" व्हिडिओस से लिये है जिनके लिंक ऊपर दिये हैं...! Facebook Post 🔗
कभी मां की गोद में महफूज़ था, वही मासूम बेटा आज मिट्टी में मिल चुका है। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की, जहाँ एक माँ ने अपने ही 3.5 साल के बेटे को प्रेम की अंधी दौड़ में अपनी राह का कांटा समझ लिया… और उसे सदा के लिए खामोश कर दिया।
क्या हुआ?
घटना कानपुर के प्रतापपुर गाँव की है। 32 वर्षीय मनीषा यादव नाम की महिला ने अपने ही बेटे अनिरुद्ध की हत्या कर दी। उसने ताबीज की डोरी से गला घोंटकर उस मासूम की सांसें छीन लीं। यह हत्या किसी पल भर के गुस्से का नतीजा नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित अपराध था — जहां ममता, मोह और मोहब्बत की सीमाएं लांघ दी गईं।
कब और कहाँ हुआ?
यह दिल दहला देने वाली घटना मई 2025 के अंतिम सप्ताह में हुई। प्रतापपुर गाँव, कानपुर — जो आमतौर पर शांति और ग्रामीण जीवन के लिए जाना जाता है — उस दिन एक जघन्य अपराध का गवाह बन गया।
कौन थे इसमें शामिल?
- मनीषा यादव: आरोपी महिला, जो माँ भी थी।
- अनिरुद्ध: मनीषा का 3.5 वर्षीय मासूम बेटा, जिसे निर्ममता से मार दिया गया।
- सुशील यादव: मनीषा का पति, जिसने बेटे का शव घर लौटने के बाद देखा।
- विकास: मनीषा का प्रेमी, जो अब फरार है।
कैसे हुआ?
मनीषा अपने प्रेमी विकास के साथ घर छोड़कर भाग गई थी, और कुछ समय बाद पति सुशील के कहने पर वापस लौट आई। लेकिन घर लौटने के बाद भी मनीषा का व्यवहार सामान्य नहीं था।
हत्या वाली रात, मनीषा ने अपने बेटे को सोते वक्त ताबीज की डोरी से गला घोंट दिया। हत्या के बाद, उसने बेटे के शव को छत पर सुला दिया, जहाँ दादा पहले से सो रहे थे।
क्यों हुआ?
पुलिस जांच और पारिवारिक बयानों के मुताबिक, मनीषा अपने प्रेमी विकास के साथ नए जीवन की शुरुआत करना चाहती थी। लेकिन उसका बेटा उसे इस रिश्ते में बाधा लग रहा था। यही वजह रही कि उसने मां जैसे पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया।
इसके अलावा, परिवार ने बताया कि मनीषा के दो अन्य बच्चों की पहले भी रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो चुकी है, जिन्हें उसने ठंड लगना बताया था। अब पुलिस इन दोनों मौतों की भी जांच कर रही है।
अब क्या?
पुलिस ने मनीषा को गिरफ्तार कर लिया है और विकास की तलाश जारी है। इस घटना के बाद क्षेत्र में मातम पसरा है और लोग स्तब्ध हैं कि कोई माँ ऐसा कैसे कर सकती है।
अगर…
अगर उस मासूम के लिए समय रहते कोई खड़ा हुआ होता, अगर मां को समझाने वाला कोई होता… तो शायद एक नन्हीं जान बच जाती। यह सिर्फ हत्या नहीं, एक समाजिक और नैतिक गिरावट की दास्तान है।
लेखक:
Sushant Patil
(Storyteller, सामाजिक और अपराध कहानियों का संवेदनशील दस्तावेजकर्ता)
नोट: यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है। कृपया इसे एक चेतावनी की तरह पढ़ें कि प्रेम, रिश्ते और ज़िम्मेदारी के बीच संतुलन खोना कितनी बड़ी त्रासदी ला सकता है।
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